ई बात जेकरा न बुझात होई ,उ ना समझ सकेला ,आग विवाह में जवन पारम्परिक गीत क प्रचालन रहे ,धीरे धीरे ओकर लोप होकल जा रहल बा ,काहे से की विवाह के प्रक्रिया में जवन परिवर्तन हो रहल बा ,ओकरा संगे संगे उ सब करमट आ ओकरा से जुडल सब बात बतकही ,रीतिरिवाज ,आ जवन टोटका सब अब पीछे छुटत बा .....
उतरत चइतवा हो बाबा ,चढ़ल बैइसाख ...देस पैसी.खोजिह हे बाबा ,पढ़ल दमाद ....वन पैसी कतिह् हो बाबा ...हरियर बांस .....| ये गीत से इ बात के समझे के बा कि...
उतरत चइतवा हो बाबा ,चढ़ल बैइसाख ...देस पैसी.खोजिह हे बाबा ,पढ़ल दमाद ....वन पैसी कतिह् हो बाबा ...हरियर बांस .....| ये गीत से इ बात के समझे के बा कि...
No comments:
Post a Comment