गावं में दूल्हा परीछे का बड़ी प्रचलन रहे जवना में कि दुलहवा के आंखी में काजरावट के करिखा चिपोंराइल रहत रहे औरी मुहवा में क्सोतर पान ठुसैल रहत रहे आ लोडा से दुलहवा के गलिया कुचात रहे और दूल्हा दांत निपोरले ससुरारी जाये के तैयारी में खुद बुदात रहलन आ जब उहव्हा पहुचाते की गारी के बौछार हो जात रहे आ मेहरारू के मुहे देखते कोहा जात रहे | बात कहे क प्रसंग बा कि देश क दूल्हा बने के शौख रखले लोग क दशा औ सही होखत होई की मेहरी के आव भगत में कुछो सहे के साहस आ जात होई भले कि मुह बिचका के आपन भाव छिपावत होहिये लोग | देखिजा अब समय आवत बा कि बकलोल दूल्हा बने के जरुरत नइखे बाकि बकलोलाई से बचे आ बचावे के समय बा जवना में हमनी सब के भालिये बा .....
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