Tuesday, April 19, 2016

बकलोल दूल्हा के परिछन

गावं में दूल्हा परीछे का बड़ी प्रचलन रहे जवना में कि दुलहवा के आंखी में काजरावट के करिखा चिपोंराइल रहत रहे औरी मुहवा में क्सोतर पान ठुसैल रहत रहे आ लोडा से दुलहवा के गलिया कुचात रहे और दूल्हा दांत निपोरले ससुरारी जाये के तैयारी में खुद बुदात रहलन आ जब उहव्हा पहुचाते की गारी के बौछार हो जात रहे आ मेहरारू के मुहे देखते कोहा जात रहे | बात कहे क प्रसंग बा कि देश क दूल्हा बने के शौख रखले लोग क दशा औ सही  होखत होई की मेहरी के आव भगत में कुछो सहे के साहस आ जात होई भले कि मुह बिचका के आपन भाव छिपावत होहिये लोग | देखिजा अब समय आवत बा कि बकलोल दूल्हा बने के जरुरत नइखे बाकि बकलोलाई से बचे आ बचावे के समय बा जवना में हमनी सब के भालिये बा .....

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