Tuesday, October 6, 2015

इलेक्सन क गारी

कबो कबो मन में इ बात हिलोर मरे ला कि भारत में का चुनाव के परम्परा में गाली गलोज पहिलही से रहे आ कि एकरा के जान बुझ के घुसावल गइल बा |रुउआ लोग देखले होखब कि जे तरे से भाजपा ले लोगन एक ओर चारा चोर कहलन त दुसरही में लालू नरभक्षी और राबड़ी जलाद कहके आपन भरास निकली लोग |इ त एगो बानगी बा जवना खातिर चुनाव आयोग केने कवनो धारा काम नइखे करत जवना से चुनाव आपन पवित्रता के भुल्वावत बा | खाली गलिय नइखे होत एकरा में ,त नेता लोग एक दूसरा के चिरावत बाड़े |अइसन लाग ता कि केहू ताड़ी पी के भासन करत बा त केहू गांजा के दम मरले बा |आ सबकर मुहवा भकुआइले रहत बा |एकरा में जनता लोग टकटकी लगा के माजा लुट ता |अइसने बुझात बा कि नेता लोग मदारी के डमरू लेखा डुगडुगी पिट सबके फसावत ताडन आ जब चुनाव हो जाई सबे ठगा जाई| हमनी जब छोट रहली त गावं में मदारी आवत रहे जवना में एगो मदारी के एगो लइका रहे ,मदारिया आपना खेला में जब लइकवा के जिभिया काटे त हमनी के डेरा जातरहली जा आ अपना अपना घरे से चाउर पिसान आ आलू लेके ओकरा के देत रहीं जा | लेकिन जब मदरिया के लइकवा से कोतुहल में पूछी जा कि करे तोर जिभिया बा ..त उ लमहर जीभ देखावे और कहे कि उ कटला पर खून ना रहे मेहरारुन के अलता के गोड रंगे वाला रंग ह |आ उ मदारिया सब गावं घूम घूम के मदारी देखावे  आ लोगन के भरमावे | त भैया हम कहल चाहत रहली ह कि बिहार में जवन चुनाव होत बा ओकरा में देश स्तर के मदारी लोग बाडन जा आ जीभ कटवा मदारी देखावे में होसियार हवुँन जा .....ऐसे इ लोगन के फेरा में फिर से नइखे आवे के ...आपन जवन मिजाज कही ओकरे पर सोचे के बा ....बुझाइल .....

Saturday, September 26, 2015

बिरादर के आदर

ई बात सउँसे  जहान  में लउकत बा कि अबकी बारी  जवन  इलेक्सन क मिजाज बुझात  बा ओकरा से कुछो कहल ई बात के जल्दीबाजी नियन होइ कि  देखात  कुछौ बा आ होत  कुछो बा । सब पार्टी लोगन के कैंडिडेट लोग आ गइल बाड़न  जा, आ संघही सब बिरादरी के नेता लोग आपन  आपन ताल ठोके लगलन । बिहार में चुनाव लड़े वाला सब पार्टी आपन जाति के हिसाब से प्रत्याशी खड़ा कइले बाड़न  लोग ,जवना से बिहार में विकास पर बहस होत  रहे उ पीछे छूट  गइल । मान लिहिजा कि  जेकर उत्पति जाति  आ धर्मे से भइल बा ,उ त जहर फइलौते बा ,बाकि जे इसब  से ऊपर रहे क हुंकारी भरत  रह ,उहो एमे  लपेटा गइल बाड़न । बिहार के भोटरन से हमनी के ई निहोरा बा कि  अगर सच्मुचे अपना राज्य के बचावे के खातिन  तनी सोच विचार के भोट  देब रउआ सब। । लालू के पार्टी त अगरा  पिछड़ा के राजनीतिये से आपना  के बसवले  बीआ ,आ नीतिसो बाबू भी एहि में समयले  बाड़न आ भाजपा त खाली राष्ट्रवाद के ढोल पिट पिट के जनता के भरमवले  बिया ,जवना से मतदाता लोगन के अबे कुछो बुझात नइखे ,एहि से ई दलन के माया में नइखे फसेके ,जे बिकास के बात करी ओकरे संगे रहे के चाही भले उ कवनो जाति  के हो आ धरम के। .... बुझाइल। .... 

Wednesday, September 2, 2015

मगजमारी में भारी

बिहार में ये समय जवन घमासान मचल बा ओकरा से इहे बात निकल ता कि सब पार्टी के लोगन आपन आपन लेमनचूस लेके ललचावे आ गएल बाड़ सन |जनता के बुडबक समझ ताड सन ,जवना से इ बात के कवनो गुंजाइश नइखे की विहार के भोटर ये चिढैया जाल में फ़सं जाई| बकीं बिहाने बिहान जवन नेतन क जमघट लाग ता ओकरा में खाली चुनवे के चर्चा सगरी हो रहल बा और हार जीत के अबही से अंदाजा लगावल जा रहल बा भाजपा के परिवर्तन रैली कही होत बा त कही केहू के स्वभिमाने प आंच आइल बा |एगो सोचे के बात बा कि काल बिहार में जहाँ बिकास और शासन के बात हॉट रहे अब ओहिजा जात पात और आगरा पिछडा के  खुबे बहस होत बा ,आ लाग ता की कवनो न कवनो संका जरुरे हो सकेला ओकरा बारे में अबे से अनुमान लगावल ठीक नइखे बाकि इ त बुझाते बा की बिहार खाली पैकेज पालिटिक्स में फसल रही ,एकर मालिक अब भगवान बुधे बाडन|

Tuesday, September 1, 2015

कबो बिहान होई

मन में रह रह के एगो बिचार आवत रहेला कि जवन दिन हमनी के इ भोजपुरी भाषा के संविधान में दर्जा मिल जाई,उ दिन भोजपुरी लोगन के खातिर बड़ा इतिहासिक समय होई ,लेकिन कबो इहो संका रहेला कि आजादी के बाद से भारी संख्या में इ प्रदेश के लोग संसद में रहले बाकी आपन राजनीति चमकावे के फेरा में माई के माई न बुझले ,येही से हमनी के मिल जुल के एगो आवाज उठावल जाये के चाही जवना से इ भाषा के इज़त मी सके ...