कबो कबो मन में इ बात हिलोर मरे ला कि भारत में का चुनाव के परम्परा में गाली गलोज पहिलही से रहे आ कि एकरा के जान बुझ के घुसावल गइल बा |रुउआ लोग देखले होखब कि जे तरे से भाजपा ले लोगन एक ओर चारा चोर कहलन त दुसरही में लालू नरभक्षी और राबड़ी जलाद कहके आपन भरास निकली लोग |इ त एगो बानगी बा जवना खातिर चुनाव आयोग केने कवनो धारा काम नइखे करत जवना से चुनाव आपन पवित्रता के भुल्वावत बा | खाली गलिय नइखे होत एकरा में ,त नेता लोग एक दूसरा के चिरावत बाड़े |अइसन लाग ता कि केहू ताड़ी पी के भासन करत बा त केहू गांजा के दम मरले बा |आ सबकर मुहवा भकुआइले रहत बा |एकरा में जनता लोग टकटकी लगा के माजा लुट ता |अइसने बुझात बा कि नेता लोग मदारी के डमरू लेखा डुगडुगी पिट सबके फसावत ताडन आ जब चुनाव हो जाई सबे ठगा जाई| हमनी जब छोट रहली त गावं में मदारी आवत रहे जवना में एगो मदारी के एगो लइका रहे ,मदारिया आपना खेला में जब लइकवा के जिभिया काटे त हमनी के डेरा जातरहली जा आ अपना अपना घरे से चाउर पिसान आ आलू लेके ओकरा के देत रहीं जा | लेकिन जब मदरिया के लइकवा से कोतुहल में पूछी जा कि करे तोर जिभिया बा ..त उ लमहर जीभ देखावे और कहे कि उ कटला पर खून ना रहे मेहरारुन के अलता के गोड रंगे वाला रंग ह |आ उ मदारिया सब गावं घूम घूम के मदारी देखावे आ लोगन के भरमावे | त भैया हम कहल चाहत रहली ह कि बिहार में जवन चुनाव होत बा ओकरा में देश स्तर के मदारी लोग बाडन जा आ जीभ कटवा मदारी देखावे में होसियार हवुँन जा .....ऐसे इ लोगन के फेरा में फिर से नइखे आवे के ...आपन जवन मिजाज कही ओकरे पर सोचे के बा ....बुझाइल .....